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बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि ने एमपी और राजस्थान के किसानों की फसलें करदीं तबाह

बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि ने एमपी और राजस्थान के किसानों की फसलें करदीं तबाह

मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में आकस्मिक रूप से आई बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि की वजह से रायडा, तारामीरा, ईसबगोल और जीरा जैसी फसलें नष्ट हो गई हैं। होली पर्व के तुरंत उपरांत फसलों की कटाई होनी थी। इस बार किसान भाई बेहतर आमदनी की आस में बैठे थे। वर्षा और ओलावृष्टि की वजह से किसानों के समूचे अरमानों पर पानी फिर गया है। बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि की वजह से राजस्थान के किसानों को बेहद हानि का सामना करना पड़ा है। जालौर एवं बाड़मेर जनपद में बेहद कृषि रकबे में फसलों पर इसका प्रभाव देखने को मिला है। आकस्मिक आन पड़ी इस विपत्ति से निराश किसानों द्वारा केंद्र सरकार से समुचित आर्थिक मदद देकर हानि की भरपाई करने की मांग व्यक्त की है।

इतने अरब रुपये की फसल हुई तबाह

जालौर कृषि विभाग के उपनिदेशक आरबी सिंह का कहना है कि यहां सर्वाधिक इसबगोल की फसल को हानि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, इसबगोल की फसल 80 फीसद तक तबाह हो गई है। साथ ही, अरण्डी, तारामीरा, जीरा, सरसों, गेंहू की 30 फीसद फसल नष्ट हो गई है। दावे के अनुसार जनपद में 35600 हेक्टेयर में खड़ी 2.13 अरब रुपये की फसल खराब हो गई है। किसानों के समक्ष आजीविका की समस्या उत्पन्न हो गई है। ऐसे वक्त में जालोर के सरपंच संघ के जिलाध्यक्ष सुनील साहू द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर समुचित आर्थिक सहायता की मांग की है। साथ ही, बाड़मेर जनपद मुख्यालय के समीप के गांवों सहित गुड़ामालानी, सेड़वा, धोरीमन्ना, चौहटन, बायतु में बारिश एवं ओलावृष्टि से दर्जनों गांवों में किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं हैं। होली के पावन पर्व के तुरंत बाद फसलों की कटाई जरूरी थी। किसान अच्छी आय की उम्मीद लगाए इंतजार में थे। लेकिन, बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि की वजह से किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया है।

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मध्य प्रदेश में भी बेमौसम बारिश बनी किसानों की मुसीबत

किसान वैसे ही कई सारी चुनौतियों से जूझते रहते हैं। वहीं, अब बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि की वजह से मध्य प्रदेश के किसानों के समक्ष भी संकट पैदा हो गया है। खेतों में खड़ी लहलहाती फसल ओलावृष्टि की वजह से मुरझा सी गई है। विभिन्न स्थानों पर फसल 80 फीसदी तक बर्बाद हो गई है। भोपाल से चिपके खजूरी कलां गांव में असमय वर्षा के चलते किसानों की गेहूं की फसल लगभग बर्बाद हो चुकी है। पीड़ित किसान फिलहाल फसल मुआवजा और फसल बीमा पर आश्रित हैं। सरकार से यही मांग की जा रही है, कि शीघ्र ही उन्हें न्यूनतम लागत के खर्च की धनराशि प्राप्त हो जाए। किसानों भाइयों का यह दर्द एमपी के विभिन्न जनपदों से भी सामने आ रहे हैं। मालवा, विदिशा एवं आगर की भी यही स्थिति है।
यह राज्य सरकार इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रति माह 1000 रुपये मुहैय्या करा रही है

यह राज्य सरकार इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रति माह 1000 रुपये मुहैय्या करा रही है

मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से राज्य की महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना चालू की गई है। योजना के अंतर्ग महिलाओं को 1000 रुपये हर माह दिए जाएंगे। इससे महिलाऐं काफी समृद्ध हो सकेंगी। बतादें, कि राज्य सरकारें महिलाओं को सशक्त और मजबूत बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। महिलाओं को उनका अधिकार मिल पाए। इस संबंध में राज्य सरकारें निरंतर कदम उठाती रहती है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भी महिलाओं के लिए बड़ी कवायद की है। एक करोड़ से ज्यादा महिलाएं इस योजना के अंतर्गत जुड़ चुकी है। राज्य सरकार उन्हें सशक्त व मजबूत करने का कार्य कर रही हैं। हालांकि, इस योजना का फायदा चुनावी तौर पर भी जोड़कर देखा जा रहा है। साथ ही, राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को समृद्ध और सशक्त बनाना ही पहली प्राथमिकता बताई जा रही है।

महिलाओं को प्रति माह मिलेंगे 1000 रुपये

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना जारी की है। योजना के अंतर्गत महिला आवेदकों को पंजीकरण करवाना जरुरी होगा। उसके बाद में संपूर्ण जांच पड़ताल करने के उपरांत महिलाओं के खाते में प्रति माह 1000 रुपये हस्तांतरित किए जाएंगे। महिलाओं को यह धनराशि 10 जून के उपरांत मिलनी चालू हो जाएगी।

पंजीकरण की अंतिम तिथि क्या है

लाडली योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन की तिथि 30 अप्रैल तक निर्धारित की गई है। आवेदकों की जांच कर उनका निराकरण 15 से 30 मई तक किया जाएगा। राज्य सरकार के अधिकारी योजना से जुड़ी समस्त जानकारी पोर्टल पर 31 मई तक प्रेषित कर दी जाएगी।

कितनी वर्षीय महिलाऐं इस योजना का फायदा उठा सकती हैं

जानकारी के लिए बतादें कि इस योजना का फायदा सिर्फ 23 से 60 साल तक की महिलाओं को प्राप्त हो पाएगा। परंतु, इस बात पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित रखना है, कि परिवार आयकर दाता नही होना चाहिए। साथ ही, उसके घर में चार पहिया वाहन भी नही होना चाहिए इसके अतिरिक्त बाकी नियमों का भी ध्यान रखा जाएगा। ये भी पढ़े: 3 लाख किसान महिलाओं के खाते में 54,000 करोड़ रुपये भेज किया आर्थिक सशक्तिकरण

योजना का फायदा लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज

दस्तावेजों के लिए कुछ डॉक्यूमेंट भी अत्यंत जरुरी कर दिए गए हैं। इसके अंतर्गत पासबुक की फोटोकॉपी, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड की कॉपी एवं एक फोटो की भी आवश्यकता होगी। किसान राज्य सरकार की अधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपने आप से भी अपलोड कर सकते हैं। कॉमन सर्विस सेंटर में भी पंजीकरण करवाया जा सकता है।
किसानों ने इस योजना के अंतर्गत उगाई भिंडी की नई किस्म, इस तरह बढ़ाई आमदनी

किसानों ने इस योजना के अंतर्गत उगाई भिंडी की नई किस्म, इस तरह बढ़ाई आमदनी

आज के समय में किसान काफी जागरूक हो गए हैं। राजस्थान राज्य के राजसमंद जनपद में किसानों द्वारा DMFT योजना के अंतर्गत संकर भिंडी उत्पादित की जाती है। विशेष बात यह है, कि जनपद में समकुल 250 किसानों ने संकर भिंडी का उत्पादन किया है। भिंडी के अंदर विटामिन्स प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से शरीर को विभिन्न प्रकार की विटामिन्स एवं पोषक तत्व अर्जित होते हैं। यही कारण है, कि बीमार होने की स्थिति में डॉक्टर भी रोगी को भिंडी की सब्जी का सेवन करने की राय देते हैं। हालाँकि, बाजार में सदैव भिंडी उपलब्ध होती है। परंतु, गर्मी के मौसम में इसकी पैदावार बेहद ज्यादा होती है। इसकी वजह से ही इसकी कीमत में गिरावट आ जाती है। इसी मध्य खबर सामने आई है, कि किसानों ने एक ऐसी संकर भिंड़ी का उत्पादन किया है, जिससे उनको काफी अच्छा उत्पादन मिलने की संभावना है। राजस्थान के राजसमंद जनपद के किसान भाइयों ने यह सफलता हांसिल की है। किसानों ने DMFT योजना के अंतर्गत संकर भिंडी का उत्पादन किया है। विशेष बात यह है, कि जनपद में समकुल 250 किसानों ने संकर भिंडी की खेती की है। तो उधर कृषि अधिकारी आमेट रक्षा पारीक का कहना है, कि किसानों के खेत में उत्पादित की गई भिंडी का परीक्षण सफलतापूर्वक रहा है।

35 किलो भिंडी विक्रय से 1400 रुपये की आय हुई

विशेष बात यह है, कि इस संकर भिंडी को काफी कम जल की आवश्यकता होती है। किसानों ने बूंद- बूंद कर के सिंचाई करने की तकनीक से इस संकर भिंडी की खेती संपन्न की है। वर्तमान, समस्त किसानों के खेत में भिंडी की फसल लहलहाती दिख रही है। किसानों को यह आशा है, कि यदि मौसम ने उनका साथ दिया, तो वह भिंडी का अच्छा-खासा उत्पादन ले सकते हैं। हालांकि, एक किसान का कहना है, कि अब तक मैं 35 किलो भिंडी बेच चुका हूं, जिससे 1400 रुपये की आमदनी हुई है।

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किसानों की आय में होगा इतना इजाफा

बतादें, कि बाजार में भिंडी फिलहाल 80 से 100 रुपये किलो बेचा रहा है। अगर एक किसान पूरे सीजन में 100 किलो भिंडी बेचता है, तब उसको हाल ही की कीमत के हिसाब से 8 से 10 हजार रुपये तक की आमदनी हो सकती है। भिंडी की सर्वोच्च विशेषता यह है, कि इसकी फसल बारिश के मौसम में भी खराब नहीं होती है। वैसे तो बारिश होने पर शिमला मिर्च, तोरई, लौकी, खीरा और ककड़ी सहित ज्यादातर सब्जियों के पौधे खराब हो जाते हैं। परंतु, भिंडी पर कुछ भी प्रभाव नहीं पड़ता है। जितनी ज्यादा बारिश होती है, भिंडी का पौधा भी उतनी ही तीव्र गति से बढ़ती है। इससे पैदावार में भी इजाफा हो जाता है।

भिंड़ी की खेती में कितने समयांतराल पर सिचांई की आवश्यकता होती है

बतादें, कि भिंडी की खेती में 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करने की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में इस प्रजाति की भिंडी की खेती करने वाले किसानों को सिंचाई पर आने वाली लागत से भी राहत मिलेगी। साथ ही, भिंडी को बाकी फसलों के तुलनात्मक खरपतवार भी कम हानि पहुंचाते हैं। हालांकि, इसके उपरांत भी किसानों को खरपतवार की सफाई अवश्य करनी चाहिए।
इस राज्य में किसानों को जैविक खेती के लिए मिलेगा अनुदान, किसान शीघ्र आवेदन करें

इस राज्य में किसानों को जैविक खेती के लिए मिलेगा अनुदान, किसान शीघ्र आवेदन करें

आजकल किसानों की दिलचस्पी जैविक खेती की तरफ बढ़ती जा रही है। इस वजह से राजस्थान सरकार की ओर से जैविक खेती करने के लिए किसानों को अच्छा-खासा अनुदान मुहैय्या कराया जा रहा है। किसान भाई इसका फायदा उठा सकते हैं। मृदा की घटती उर्वरकता के चलते देश की खेती में फर्टिलाइजर का इस्तेमाल किया जाता है। सामान्य रूप से लोग रसायनिक उर्वरकों का उपयोग करते हैं। बाजार में इन उर्वरकों की सुगमता से उपलब्धता एक प्रमुख वजह है। इसका छिड़काव करने में भी काफी समस्या नहीं होती है। साथ ही, जैविक खेती में आर्गेनिक फर्टिलाइजर तैयार करना काफी बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। परंतु, जैविक खाद का मृदा और लोगों की सेहत के हिसाब से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह मृदा और शरीर दोनों के टॉक्सिंस निकालने का कार्य करता है। जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए अब एक प्रदेश ने बड़ी पहल की है।

राजस्थान सरकार की तरफ से जैविक खेती पर अनुदान दिया जा रहा है

कृषकों को जैविक खेती को लेकर जागरूक किया जा रहा है। किसानों का रुख भी जैविक खेती की दिशा में बढ़ रहा है। राजस्थान सरकार भी किसानों को अनुदान प्रदान कर रही है। फिलहाल, राजस्थान सरकार ने इसको लेकर एक अहम पहल की है। राज्य सरकार की तरफ से कृषकों को जैविक खेती पर अनुदान देने का फैसला लिया गया है। ये भी पढ़े: जैविक खेती कर के किसान अपनी जमीन को स्वस्थ रख सकते है और कमा सकते हैं कम लागत में ज्यादा मुनाफा

राजस्थान सरकार कृषकों को कितना अनुदान प्रदान करेगी

राजस्थान सरकार किसानों को जैविक खेती करने पर 50 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है। बागवानी फसलों में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए समकुल खर्च का 50 प्रतिशत या अधिकतम 10000 रुपये प्रति हेक्टेयर ही किसान को प्रदान किए जाएंगे। यह धनराशि प्रति हेक्टेयर प्रति लाभार्थी अधिकतम 4 हेक्टेयर क्षेत्र तक तीन वर्षाे में 40 प्रतिशत, 30 प्रतिशत, 30 प्रतिशत के अनुपात के तौर पर दिया जाएगा। अगर किसान जैविक उत्पाद का प्रमाणीकरण कराना चाहता है, तो 50 हेक्टेयर क्लस्टर हेतु 5 लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे। इसको भी 3 वर्षों में विभाजित किया गया है। पहले साल में 1.50 लाख रुपये, दूसरे में 1.50 लाख रुपये और तीसरे साल में 2 लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा।

योजना का फायदा लेने के लिए यह बेहद जरुरी है

किसान के पास स्वयं की न्यूनतम 1 एकड़ भूमि होनी अत्यंत आवश्यक है। इसके अतिरिक्त पशुधन, पानी और कार्बनिक पद्धार्थ में मौजूद होने चाहिए। निरंतर 3 साल तक चुने हुए खेत में जैविक विधि से फसल उत्पादन करना चाहता हो। जैविक खेती प्रमाणीकरण हेतु प्रमाणीकरण संस्था से जुड़ने की रूचि भी होनी चाहिए। समस्त फसलों का उत्पादन जैविक ढ़ंग से ही किया जाए। इसमें प्राथमिकता जैविक खेती कार्यक्रम से जुड़े कृषकों को ही दी जाएगी।

राज्य के इन जनपदों के किसान अनुदान का फायदा उठा सकते हैं

राजस्थान के विभिन्न जनपदों के किसान योजना का फायदा उठा सकते हैं। नागौर, पाली, सिरोही, सवाई माधोपुर, टोंक, उदयपुर, बारां, करौली, अजमेर, अलवर, बांसवाडा, बाडमेर, भीलवाड़ा, बूंदी, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, श्रीगंगानगर, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झालावाड़, झुंझुंनू, जोधपुर और कोटा इन्हीं जनपदों में शामिल हैं। ये भी पढ़े: पर्वतीय क्षेत्रों पर रहने वाले किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने सुझाई विदेशी सब्जी उत्पादन की नई तकनीक, बेहतर मुनाफा कमाने के लिए जरूर जानें

किसान भाई यहां आवेदन कर सकते हैं

राज्य के कृषकों को अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन करना बेहद आवश्यक है। किसानों को इसके लिए अपने नजदीकी ई-मित्र केंद्र पर जाना होगा। अगर किसान चाहे तो अपने आपको ई-मित्र खाते से आवेदन कर सकते हैं। जैविक खेती के लिए किसी भी प्रकार के शुल्क की व्यवस्था नहीं की गई है। इसके लिए दस्तावेजों के तौर पर किसान का शपथ पत्र, जमाबंदी की कॉपी, एड्रेस प्रूफ की कॉपी, बैंक पासबुक की कॉपी जैसे दस्तावेज होने जरूरी हैं। किसानों को अनुदान आरटीजीएस के जरिए से भेजी जाएगी।
इस राज्य ने कृषि से स्नातक की पढ़ाई करने वाली छात्राओं की प्रोत्साहन धनराशि को किया तीन गुना

इस राज्य ने कृषि से स्नातक की पढ़ाई करने वाली छात्राओं की प्रोत्साहन धनराशि को किया तीन गुना

राजस्थान सरकार लगातार किसानों के हित में बड़े कदम उठाते आ रही है। राज्य की छात्राओं के लिए भी राजस्थान सरकार की तरफ से एक योजना चलाई जा रही है। इसके अंतर्गत छात्राओं को यह पैसा राजस्थान युवा कृषक कौशल व क्षमता संवर्धन मिशन के तहत दिया जाता है। इस योजना का उद्देश्य ही है छात्राओं को खेती-किसानी की ओर प्रोत्साहित करना। इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई के इस जमाने में लोग खेती किसानी की पढ़ाई करना भूल गए हैं। परंतु, वर्तमान में सरकारें इस पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक, कृषि की पढ़ाई को लोगों के बीच लोकप्रिय करने के लिए विभिन्न योजनाएं लेकर आ रही हैं। राजस्थान की सरकार द्वारा भी बेटियों को कृषि की पढ़ाई की ओर प्रोत्साहित करने के लिए कुछ ऐसा ही किया गया है। दरअसल, राजस्थान सरकार द्वारा कृषि विषय से पढ़ाई करने वाली लड़कियों को मिलने वाली प्रोत्साहन धनराशि में तीन गुना तक वृद्धि की है।

अब किसको कितनी धनराशि मिलेगी

राजस्थान सरकार की तरफ से जारी किए गए बयान के मुताबिक, अब जो लड़कियां 11वीं, 12वीं, एमएससी और पीएचडी में कृषि का चयन करेंगी। उनको अच्छी खासी प्रोत्साहन धनराशि प्रदान की जाएगी। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि राजस्थान सरकार की तरफ से कृषि में ग्रेजुएशन करने वाली लड़कियों के लिए प्रोत्साहन धनराशि को दोगुना कर दिया गया है। मतलब, कि अब उनको 12 हजार रुपये के स्थान पर 25 हजार रुपये दिए जाएंगे। तो उधर 11वीं और 12वीं में कृषि की पढ़ाई करने वाली छात्राओं को फिलहाल सरकार की तरफ से 15 हजार रुपये प्रदान किए जाऐंगे। साथ ही, एमएससी में दाखिला लेने वाली छात्राओं को 40 हजार रुपये मिलेंगे। जो कि पूर्व में मात्र 15 हजार रुपये ही थी। ये भी पढ़े: सरकार किसान बेटियों को देगी हर साल 40,000 की धनराशि अनुदान स्वरूप दी जाएगी

इसके अंतर्गत कितने रूपये प्रदान किए जाएंगे

राजस्थान सरकार की ओर से छात्राओं को यह धनराशि राजस्थान युवा कृषक कौशल व क्षमता संवर्धन मिशन के अंतर्गत दिया जाता है। इस योजना का उद्देश्य ही छात्राओं को कृषि की ओर प्रोत्साहित करना है। दरअसल, अब तक सफल किसानों में पुरुषों का नाम अधिक आता है। दरअसल, राजस्थान सरकार का यह मानना है, कि राज्य की लड़कियां भी खेती किसानी में अग्रसर होंगी। वह प्रसिद्धि के साथ-साथ धन भी कमाएं। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस समय राजस्थान के विभिन्न मान्यता प्राप्त विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में कृषकों की पढ़ाई हो रही है।

योजना का फायदा कैसे प्राप्त किया जाए

राज्य की जो भी छात्राएं इस योजना का फायदा उठाना चाहती हैं, उन्हें राज किसान साथी पोर्टल या ई-मित्र के जरिए से आवेदन करना होता है। इस योजना का फायदा लेने के लिए आपके पास कुछ आवश्यक दस्तावेज होने चाहिए। इन दस्तावेजों में मूल निवास प्रमाण पत्र एवं विगत वर्ष की मार्कशीट बेहद आवश्यक है। कृषि विभाग की तरफ से इस योजना हेतु प्रतिवर्ष पंजीयन होता है।
खजूर की खेती से किसानों की जिंदगी हुई खुशहाल

खजूर की खेती से किसानों की जिंदगी हुई खुशहाल

खजूर के पेड़ की आयु लगभग 80 वर्ष तक होती है। रेतीली मृदा पर इसका उत्पादन काफी ज्यादा बढ़ जाता है। यदि आप खजूर की खेती करने की योजना बना रहे हैं, तो सर्व प्रथम खेत में जलनिकासी की अच्छी तरह से व्यवस्था कर लें। राजस्थान एक रेगिस्तानी राज्य है। लोगों का मानना है, कि यहां पर केवल बालू ही बालू होती है। अन्य किसी भी फसल की खेती नहीं होती है। परंतु, ऐसी कोई बात नहीं है। राजस्थान में किसान सरसों, टमाटर, जीरा, गेहूं, मक्का और बाजरा समेत हरी सब्जियों की भी जमकर खेती करते हैं। परंतु, फिलहाल राजस्थान के किसानों ने विदेशी फसलों की भी खेती करनी शुरू कर दी है। इससे किसानों की काफी अच्छी आमदनी हो रही है। विशेष कर जालोर जनपद में किसानों ने अरब देशों का प्रशिद्ध फल खजूर की खेती चालू कर दी है। जनपद में बहुत सारे किसानों के पास खजूर के बाग लहलहा रहे हैं।

जालोर जिला टमाटर और ईसबगोल की खेती के लिए मशहूर है

पहले जालोर जनपद टमाटर और ईसबगोल की खेती के लिए जाना जाता था। लेकिन, वर्तमान में खजूर की खेती यहां की पहली पसंद बन चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अरब देशों और राजस्थान की मिट्टी और मौसम एक जैसा होने के चलते किसान टिश्यू कल्चर से खजूर की खेती कर रहे हैं। जालोर जिले के नादिया, वाटेरा और मोरसीम समेत कई गांवों में किसान खजूर की खेती कर रहे हैं। ये भी पढ़े: इस ड्राई फ्रूट की खेती से किसान कुछ समय में ही अच्छी आमदनी कर सकते हैं

खजूर का पेड़ कितने साल तक चलता है

खजूर के पेड़ की उम्र तकरीबन 80 साल होती है। बतादें कि रेतीली मृदा में इसका उत्पादन काफी बढ़ जाता है। यदि आप खजूर की खेती करने की योजना तैयार कर रहे हैं, आपको सबसे पहले खेत से जलनिकासी की उत्तम व्यवस्था कर लेनी चाहिए। अगर आपके खेत में जलभराव की स्थिति हो गई है, तो पैदावार प्रभावित हो सकती है। साथ ही, खजूर के पौधे एक-एक मीटर के फासले पर ही रोपे जाऐं। रोपाई करने से पहले गड्ढे खोद लें और गड्ढे में खाद के तौर पर गोबर ड़ाल दें।

खजूर के एक पेड़ से किसान कितनी पैदावार ले सकता है

एक एकड़ में 70 के आसपास खजूर के पौधों की रोपाई की जा सकती है। रोपाई करने के 3 साल पश्चात इसके पेड़ों पर फल आने चालू हो जाते हैं। कुछ वर्षों के पश्चात आप एक पेड़ से 100 किलो तक खजूर तोड़ सकते हैं। फिलहाल, मार्केट में खजूर 300 रुपये से लेकर 800 रुपये किलो तक बिक रहा है। इस प्रकार 7000 किलो खजूर बेचकर लाखों रुपए की आमदनी कर सकते हैं।
शरीर हेतु अत्यंत फायदेमंद खजूर की अब राजस्थान में भी पैदावार की जा रही है

शरीर हेतु अत्यंत फायदेमंद खजूर की अब राजस्थान में भी पैदावार की जा रही है

​देश में बिकने वाला अधिक मात्रा में खजूर खाड़ी देशों से आयात किया जाता है। यदि राजस्थान में जारी खजूर का यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो भविष्य में खजूर को आयात करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। कुछ साल पहले तक खजूर की पैदावार राजस्थान में संभव नहीं थी। परंतु, केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान काजरी के वैज्ञानिकों के प्रयास और स्थानीय किसानों के परिश्रम ने रेगिस्तान में बहार ला दी है। बतादें, कि पश्चिमी राजस्थान के चूरू और बीकानेर जैसे क्षेत्रों में लाल खजूर से लदे बहुत सारे बगीचे देखे जा सकते हैं।

खजूर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

राजस्थान के शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्र की जलवायु खजूर की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है। पश्चिमी राजस्थान में खजूर की खेती फिलहाल मशहूर हो रही है। खजूर की मौजूदा किस्म अतिशीघ्र पक जाती है। साथ ही, बारिश के मौसम में बाजार में होती है। खजूर की बागवानी करने वाले किसान बेहद प्रशन्न हैं। इस बार भी बेहतरीन उत्पादन है। लाल रंग के मीठे खजूर मुंह मांगी कीमतों पर बिक रहे हैं। भारत में बिकने वाला अधिकांश खजूर खाड़ी देशों से आयात किया जाता है। यदि राजस्थान में चल रहा खजूर का यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो आगामी दिनों में खजूर को आयात करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। 

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जानें खजूर की क्या-क्या खासियत होती हैं

राजस्थान के बाग के पके खजूर अपने पौष्टिक गुणों के लिए जाने जाते हैं। विशेष बात यह है, कि इसको किसी शीतगृह अथवा कारखाने में किसी रसायन या तकनीक से नहीं पकाया जाता। यह प्राकृतिक तौर पर पेड़ों पर पककर ही सीधे मंडी तक पहुंचता है। इस वजह से इस खजूर में पौष्टिक तत्वों की भरमार रहती है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि खजूर से दिल, पेट और नर्वस सिस्टम तो अच्छा रहता ही है, शरीर को भी बेहद ऊर्जा मिलती है। 

खजूर में विटामिन, मिनरल्स जैसे कई सारे पोषक तत्व मौजूद रहते हैं

खजूर का सेवन करने से रोगों की रोकथाम होती है। खजूर के अंदर गेहूं, चावल जैसे बहुत सारे अनाजों की तुलना में ज्यादा कैलोरी पाई जाती हैं। साथ ही, शर्करा की मात्रा भी काफी ज्यादा होती है। पेट को साफ रखने वाला फाइबर, बहुत सारी विटामिन, मिनरल्स, और भरपूर फोलिक एसिड आपके शरीर को तंदुरुस्त व सेहतमंद बनाए रखता है। 

खजूर पर नेटवर्क प्रोजेक्ट बीकानेर, जोधपुर और आनन्द में चल रहा है, जिसका परिणाम भी उत्साहजनक है। कृषक भाइयों के लिए इसकी बागवानी अच्छी है। आमदनी भी काफी हो जाती है। भारत के अंदर खजूर फल की अधिक खपत होने से आयात होता है। भारत में इसका क्षेत्रफल और उत्पादन बढ़ता है, तो आयात की जरूरत नहीं पड़ेगी।

विदेश से नौकरी छोड़कर आया किसान अनार की खेती से कमा रहा करोड़ों

विदेश से नौकरी छोड़कर आया किसान अनार की खेती से कमा रहा करोड़ों

राजस्थान राज्य के सिरोही निवासी नवदीप एक सफल किसान के तौर पर उभरके सामने आए हैं। दरअसल, वह प्रति वर्ष 1.25 करोड़ की आय अर्जित कर रहे हैं। राजस्थान राज्य के सिरोही जनपद के निवासी नवदीप गोलेछा ने कृषि क्षेत्र में एक ऐसा कार्य कर दिया है, जिससे संपूर्ण राजस्थान में उनका नाम रोशन हो रखा है। आज वह कृषि के क्षेत्र में लाखों की आमदनी कर रहे हैं। बतादें, कि नवदीप एक व्यावसायिक परिवार से आते हैं। उन्होंने साल 2011 में वित्तीय अर्थशास्त्र में एमएससी की पढ़ाई इंग्लैंड से संपन्न की है। नवदीप ने उधर ही एक इन्वेस्टमेंट बैंकर के रूप पर कार्य करना चालू किया था। 

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 इसी बीच उनके परिवार वाले उनके ऊपर लौटकर भारत आने का दबाव बनाना चालू कर दिया था। नवदीप वर्ष 2013 में अपनी नौकरी को छोड़के भारत वापस लौट आए।

 

इतने एकड़ भूमि पर कर रहे अनार का उत्पादन

घर लौटकर आने के उपरांत नवदीप ने रिजॉर्ट चालू करने के विषय में विचार विमर्श किया। परंतु, नवदीप ने पुनः वृक्षारोपण में हाथ आजमाने के विषय में विचार किया। उसके उपरांत पुनः उन्होंने जोधपुर से 170 किलोमीटर दूर सिरोही गांव में 40 एकड़ की भूमि पर कृषि करने के विषय में विचार किया। उन्होंने समकुल 30 एकड़ में अनार के पौधों का वृक्षारोपण किया एवं बाकी 10 एकड़ में पपीता, शरीफा और नींबू के पेड़ लगाने चालू किए। उस समय उनके गाँववाले उनका खूब मजाक बनाते थे। क्योंकि, नवदीप ने विदेश से नौकरी छोड़ खेती किसानी की तरफ अपना रुख किया।

 

एपीडा से पंजीकरण करा सीधे कर रहे अनार के उत्पादन का निर्यात

नवदीप गोलेछा ने अनार का उत्पादन करने से पूर्व ही सर्वप्रथम क्षेत्र के कृषि विभाग में संपंर्क साधा था। नवदीप ने अपनी भूमि की मृदा का परीक्षण करवाया एवं रिसर्च के उपरांत अनार की खेती चालू की थी। जब अनार के फलों की पैदावार चालू होने लगी तो उन्होंने खुद के उत्पादन का निर्यात करने हेतु एपीडा सहित पंजीकरण करावाया साथ ही खुद के उत्पाद को सीधे तौर पर निर्यात करने की मंजूरी ली है। नवदीप नीदरलैंड में खुद के काफी अधिक उत्पादों का निर्यात करते हैं।